Thursday, October 11, 2012

कलकत्ते का ज़िक्र

मिर्ज़ा गालिब साहब का यह शेर तो मेरे दिल के बहुत करीब है ... क्यूँ कि इस मे मेरी जन्मभूमि का जिक्र है !

"कलकत्ते का जो ज़िक्र किया तूने हमनशीं
इक तीर मेरे सीने में मारा के हाये हाये"
- मिर्ज़ा गालिब

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