Friday, October 12, 2012

मुझ को हैरत है

आज मेरे और यकीनन आप सब के भी पसंदीदा शायर निदा फ़ाज़ली साहब का जन्मदिन है ... पेश है उनका एक बेहद उम्दा शेर ... जो अपने आप मे एक पूरी नज़्म है !

"घास पर खेलता है इक बच्चा
पास माँ बैठी मुस्कुराती है
मुझ को हैरत है जाने क्यों दुनिया
काब-ओ-सोमनाथ जाती है।"
- निदा फ़ाज़ली

1 comments:

मन्टू कुमार said...

गिन के चार पंक्तियाँ और बयां करने के लिए चार लाख शब्द कम पड़ जाए...|

Post a Comment