Monday, October 12, 2015

जन्मदिन मुबारक निदा साहब

नील गगन पर बैठ
कब तक
चाँद सितारों से झाँकोगे

पर्वत की ऊँची चोटी से
कब तक
दुनिया को देखोगे

आदर्शों के बन्द ग्रन्थों में
कब तक
आराम करोगे

मेरा छप्पर टपक रहा है
बनकर सूरज
इसे सुखाओ

खाली है
आटे का कनस्तर
बनकर गेहूँ
इसमें आओ

माँ का चश्मा
टूट गया है
बनकर शीशा
इसे बनाओ

चुप-चुप हैं आँगन में बच्चे
बनकर गेंद
इन्हें बहलाओ

शाम हुई है
चाँद उगाओ
पेड़ हिलाओ
हवा चलाओ

काम बहुत हैं
हाथ बटाओ अल्ला मियाँ
मेरे घर भी आ ही जाओ
अल्ला मियाँ...!

- निदा फ़ाज़ली
जन्मदिन मुबारक निदा साहब !!

3 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

जन्मदिन मुबारक !

ब्लॉग बुलेटिन said...

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, अनोखी सज़ा - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना वर्षान्त अंक "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 31 दिसम्बर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

Post a Comment