Monday, October 8, 2012

बुरा न मान ...

जब जब बात शेर ओ शायरी की होती है जो नाम सब से पहले जहन मे आता है ... वो है ... मिर्ज़ा गालिब का ... 

मुझे उनका यह शेर सब से ज्यादा पसंद है ... 


'ग़ालिब ' बुरा ना मान जो वाइज बुरा कहे ...
ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहे जिसे ???

16 comments:

Atul Shrivastava said...

बहुत बढिया।
'' यूं तो दुनिया में हैं सुखनवर बहुत अच्‍छे
पर गालिब का है अंदाजे बयां और''

मन्टू कुमार said...

क्या बात...क्या बात...|

shikha varshney said...

वाह वाह आगाज़ तो शानदार किया है ..ये शेर चाचा जान का बहुत हौसला देता है.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

अच्छी शुरुआत!! काबिले तारीफ़!!

इस्मत ज़ैदी said...

बधाई हो नए ब्लॉग की
ये अवश्य बहुत सफल ब्लॉग होगा ऐसा मुझे विश्वास भी है और दुआ भी

शिवम् मिश्रा said...

अतुल भाई ,

यह शेर कुछ इस तरह है कि ...

" हैं और भी दुनिया में सुख़नवर बहुत अच्छे
कहते हैं कि 'ग़ालिब' का है अंदाज़-ए-बयाँ और "

शिवम् मिश्रा said...

धन्यवाद !

शिवम् मिश्रा said...

आमीन !

वन्दना अवस्थी दुबे said...

बधाइयाँ..बधाइयाँ..बधाइयाँ.... शानदार शुरुआत के लिए.

शिवम् मिश्रा said...

बहुत बहुत शुक्रिया !

VOICE OF MAINPURI said...

gazb bahut khub...shandar shuraat.hirdesh

मेरा मन पंछी सा said...

bahut badhiya..bahut badhiya..
:-)

शिवम् मिश्रा said...

बहुत बहुत धन्यवाद मित्र !

शिवम् मिश्रा said...

आपका बहुत बहुत धन्यवाद !

शिवम् मिश्रा said...

इस मे कोई शक नहीं !

शिवम् मिश्रा said...

बस दादा ऐसे ही स्नेह बनाएँ रखें !

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