जब जब बात शेर ओ शायरी की होती है जो नाम सब से पहले जहन मे आता है ... वो है ... मिर्ज़ा गालिब का ...
मुझे उनका यह शेर सब से ज्यादा पसंद है ...
मुझे उनका यह शेर सब से ज्यादा पसंद है ...
'ग़ालिब ' बुरा ना मान जो वाइज बुरा कहे ...
ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहे जिसे ???
ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहे जिसे ???
16 comments:
बहुत बढिया।
'' यूं तो दुनिया में हैं सुखनवर बहुत अच्छे
पर गालिब का है अंदाजे बयां और''
क्या बात...क्या बात...|
वाह वाह आगाज़ तो शानदार किया है ..ये शेर चाचा जान का बहुत हौसला देता है.
अच्छी शुरुआत!! काबिले तारीफ़!!
बधाई हो नए ब्लॉग की
ये अवश्य बहुत सफल ब्लॉग होगा ऐसा मुझे विश्वास भी है और दुआ भी
अतुल भाई ,
यह शेर कुछ इस तरह है कि ...
" हैं और भी दुनिया में सुख़नवर बहुत अच्छे
कहते हैं कि 'ग़ालिब' का है अंदाज़-ए-बयाँ और "
धन्यवाद !
आमीन !
बधाइयाँ..बधाइयाँ..बधाइयाँ.... शानदार शुरुआत के लिए.
बहुत बहुत शुक्रिया !
gazb bahut khub...shandar shuraat.hirdesh
bahut badhiya..bahut badhiya..
:-)
बहुत बहुत धन्यवाद मित्र !
आपका बहुत बहुत धन्यवाद !
इस मे कोई शक नहीं !
बस दादा ऐसे ही स्नेह बनाएँ रखें !
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