आज मेरे और यकीनन आप सब के भी पसंदीदा शायर निदा फ़ाज़ली साहब का जन्मदिन है ... पेश है उनका एक बेहद उम्दा शेर ... जो अपने आप मे एक पूरी नज़्म है !
"घास पर खेलता है इक बच्चा
पास माँ बैठी मुस्कुराती है
मुझ को हैरत है जाने क्यों दुनिया
काब-ओ-सोमनाथ जाती है।"
पास माँ बैठी मुस्कुराती है
मुझ को हैरत है जाने क्यों दुनिया
काब-ओ-सोमनाथ जाती है।"
- निदा फ़ाज़ली
1 comments:
गिन के चार पंक्तियाँ और बयां करने के लिए चार लाख शब्द कम पड़ जाए...|
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